ऐसा आने वाला हो (कटाक्ष) -उदय मोहन पाठक
अब और नही हूँ, मैं कुछ भी कहने वाला।
चुनावी समर अब है, अंत होने वाला
सभी महारथियों का ध्यान सत्ता सुख की ओर
राजतिलक की ओर लगता है कि यह प्रजातंत्र नही, राजतंत्र का सिंहासन पाना हो
इन पांच सालों में सुखी कौन दुखी कौन अपरिभाषित रह गया। चायवाला, दूधवाला, हलवाला, फलवाला, मानवाला, धन वाला कोई भी व्यक्ति प्रधानमंत्री बने लेकिन वह हो देश के मान सम्मान शांति अखंडता का रखवाला। दिगंत में भारत के यश को फैलाने वाला सर्वांगीण विकास को गति देने वाला अवश्य हो।
न हो कोई देश को लूटने वाला
न हो यहाँ कुकृत्य कर फलने-फूलने वाला।
केवल हो, समाज या देश का रखवाला।
चाहे वो हो पैंटवाला, पैजामावाला, लूंगी वाला या धोती वाला।
हमें चाहिए,
विषमता में समता लाने वाला,
अनेकता में एकता का रखवाला, विशाल हृदय वाला ज्ञान विज्ञान की रौशनी फैलाने वाला। तिरंगे की शान बढ़ाने वाला।
@उदय मोहन पाठक
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